
Hapur News: सड़क हादसे में घायल युवक के मामले में एसपी के आदेश पर मुकदमा दर्ज, चौकी पुलिस की लापरवाही उजागर
Hapur News: हापुड़ के दिल्ली रोड पर हुए सड़क हादसे में घायल युवक के मामले में पुलिस की देरी और कार्रवाई की कमी एक बार फिर सुर्खियों में है। पीड़ित परिवार की लगातार पैरवी और पुलिस अधीक्षक (एसपी) के हस्तक्षेप के बाद ही सदर कोतवाली पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच तेज की है। हादसे के बाद से पीड़ित परिवार न्याय की मांग कर रहा था, जबकि चौकी पुलिस की लापरवाही को लेकर स्थानीय लोग नाराजगी जता रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
नगर के दिल्ली रोड स्थित मोहल्ला अर्जुन नगर निवासी रामचरण ने बताया कि 22 नवंबर की सुबह उनका पुत्र एसएसवी पुलिस चौकी के पास से गुजर रहा था। उसी दौरान एक तेज रफ्तार ट्रोला ने उनकी बाइक में जोरदार टक्कर मार दी। हादसा इतना भीषण था कि युवक गंभीर रूप से घायल हो गया और उसकी बाइक बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। परिजन उसे तुरंत अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां उसका इलाज जारी है।
परिवार का कहना है कि दुर्घटना के लिए ट्रोला चालक की सीधी लापरवाही जिम्मेदार है। हादसे के बाद चालक मौके से फरार हो गया।
चौकी पुलिस ने नहीं दर्ज किया मुकदमा
रामचरण के अनुसार, वह 24 नवंबर को एसएसवी पुलिस चौकी पहुंचे और लिखित तहरीर देकर मुकदमा दर्ज करने की मांग की। बावजूद इसके चौकी पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की। इससे पीड़ित परिवार और स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश फैल गया।
परिवार का आरोप है कि गंभीर हादसे के बावजूद चौकी पुलिस ने मामले को अनदेखा कर दिया, जिसने उनके दुख और नाराजगी को और बढ़ा दिया।
एसपी के आदेश के बाद हरकत में आई पुलिस
चौकी पुलिस की निष्क्रियता से परेशान होकर पीड़ित परिवार ने सीधे पुलिस अधीक्षक हापुड़ को शिकायती पत्र सौंपा। एसपी ने मामले को संज्ञान में लेते हुए तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए। इसी के बाद सदर कोतवाली पुलिस ने तेजी दिखाते हुए मुकदमा दर्ज कर लिया।
सदर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक देवेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि एसपी के आदेश के बाद सड़क हादसे का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। दुर्घटना में शामिल ट्रोला और उसके चालक की तलाश के लिए टीमें गठित कर दी गई हैं और जांच गहराई से जारी है।
बिना एसपी के आदेश कार्रवाई क्यों नहीं?
इस पूरे मामले ने स्थानीय स्तर पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर पुलिस चौकी में तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं हुई? स्थानीय निवासियों का कहना है कि अगर शुरुआत में ही मुकदमा दर्ज हो जाता, तो आरोपी चालक की पहचान और गिरफ्तारी में आसानी हो सकती थी।

