
Locknow News: अब गली-मोहल्लों के घरों में नहीं खुलेंगे मेडिकल स्टोर, सरकार ने किया बड़ा फैसला
Locknow News: उत्तर प्रदेश में दवा कारोबार की निगरानी को और सख्त करने के लिए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) ने महत्वपूर्ण बदलाव लागू किए हैं। अब किसी भी आवासीय मकान में मेडिकल स्टोर खोलने के लिए लाइसेंस जारी नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही हर नए दवा लाइसेंस के लिए दुकान की जिओटैग्ड फोटो अनिवार्य कर दी गई है, ताकि दुकान की वास्तविक उपस्थिति का डिजिटल प्रमाण उपलब्ध रहे। यह आदेश औषधि आयुक्त रोशन जैकब द्वारा राज्य में कोडीन युक्त सिरप और एनडीपीएस श्रेणी की दवाओं के अवैध व्यापार पर हुई कार्रवाई के बाद जारी किए गए हैं।
निरीक्षण में सामने आई अनियमितताएं
हाल ही में एफएसडीए द्वारा किए गए निरीक्षणों में कई चौंकाने वाली अनियमितताएं सामने आईं। कई मेडिकल स्टोर केवल कागज़ों में सक्रिय पाए गए थे, जबकि कई जगह केवल एक मेज और कुर्सी रखकर अवैध बिक्री के बिल तैयार किए जा रहे थे। दवाओं के भंडारण की व्यवस्था मानकों के अनुरूप नहीं मिली और कुछ दुकानों के अस्तित्व तक पर सवाल खड़े हुए। इन सभी खुलासों ने दवा कारोबार में सख्त निगरानी की आवश्यकता को और मजबूत कर दिया।
नशीली दवाओं से युवाओं पर बढ़ता खतरा
एफएसडीए आयुक्त ने जिलाधिकारियों को भेजे गए पत्र में स्पष्ट किया कि कोडीन युक्त सिरप और एनडीपीएस श्रेणी की दवाओं का युवाओं और किशोरों द्वारा नशे के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है, जो स्वास्थ्य और समाज दोनों के लिए गंभीर खतरा है। कानून के अनुसार ऐसी दवाएं केवल डॉक्टर के लिखित प्रिस्क्रिप्शन पर ही बेची जा सकती हैं और विक्रेताओं को पूरी बिक्री का रिकॉर्ड रखना अनिवार्य है। रिकॉर्ड न रखना या गलत बिक्री करना कानूनन अपराध माना जाएगा।
रिकॉर्ड न मिलने पर होगी कड़ी कार्रवाई
एफएसडीए द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार जहां दवा का उचित भंडारण नहीं मिलेगा वहां लाइसेंस तुरंत रद्द कर दिया जाएगा। जिन दुकानों में वैध बिक्री अभिलेख उपलब्ध नहीं होंगे या जहां अधूरे रिकॉर्ड पाए जाएंगे, वहां भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। निर्धारित समय सीमा में सुधार न करने की स्थिति में लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा। वहीं नशे के अवैध कारोबार में संगठित रूप से शामिल लोगों पर गैंगस्टर एक्ट तक लगाया जाएगा, ताकि ऐसी गतिविधियों पर प्रभावी रोक लग सके।
फार्मासिस्ट की उपस्थिति अनिवार्य
सरकार ने स्पष्ट किया है कि दवा लाइसेंस अब उन्हीं को प्राथमिकता से मिलेगा जिनके पास पंजीकृत फार्मासिस्ट मौजूद होंगे। अनुभव प्रमाण पत्र की औषधि निरीक्षक द्वारा जांच अनिवार्य होगी, ताकि दवा व्यापार में केवल प्रशिक्षित और योग्य व्यक्तियों को ही अनुमति दी जा सके। यह कदम दवा बिक्री की गुणवत्ता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
फर्जी मेडिकल स्टोरों पर सरकार की बड़ी सख्ती
राज्य सरकार का मुख्य उद्देश्य गली-मोहल्लों में चल रहे फर्जी मेडिकल स्टोरों को बंद करना है, जो आवासीय मकानों से अवैध तरीके से संचालित हो रहे थे। ऐसे स्टोर न केवल नियमों का उल्लंघन कर रहे थे बल्कि कोडीन और एनडीपीएस दवाओं की अवैध बिक्री का माध्यम भी बन चुके थे। नए नियमों के लागू होने से दवा कारोबार में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी तथा अवैध नशे के बढ़ते बाजार पर बड़ा प्रहार होगा।

